न तुम मुस्कुराती न यह बात होती,
न मौसम बदलता न यह बरसात होती |
न ख्वाबों में तस्वीर तेरा लिए फिरते,
न बागों में खुशबू यूँ एफरात होती |
न मंज़र तेरा नज़र पे छाया होता,
न शब् पे छाई यूँ चान्दिनी रात होती |
न तुम मुस्कुराते न यह बात होती.
न मौसम बदलता न यह बरसात होती |
न तड़प कोई होता न बेचैनी कोई होती,
न जेहनो-ओ-दिल में बेबस तासिरात होती |
न हम राह तकते न हम सोचा करते,
न बे-वजेह कोई ऐसी मुलाक़ात होती |
न आरज़ू पनपते न होसलों में माद्दा होता,
न बेरंग ज़िन्दगी में हसरते बेहिसाब होती |
न तुम मुस्कुराते न यह बात होती.
न मौसम बदलता न यह बरसात होती |
न तुम यूँ शरमाते न मई हैरान होता,
न हवा रुख बदलती, न मौसम बेईमान होता |
न रगों में एहसास तेरा मुझमे यूँ होता,
न खिज़ा में रंगत यूँ तेरी यार होती |
न तरसते तेरे दीद को, न गफलत में यूँ होता,
न बदस्तूर इस दिल में कोई फ़रियाद होती |
न तरसते तेरे दीद को, न गफलत में यूँ होता,
न बदस्तूर इस दिल में कोई फ़रियाद होती |
न तुम मुस्कुराते न यह बात होती.
न मौसम बदलता न यह बरसात होती |
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प्रदीप
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प्रदीप
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तसिरात : ख्वाहिश , तम्मना
माद्दा : हिम्मत
गफलत : सम्मोहन,
खिज़ा : वातावरण, मौसम
दीद : दीदार
बदस्तूर : निरंतर , लगातार