Friday, August 6, 2010

Aasmaan se Chann kar..




आसमा से छन्न कर आई मोतिया मै क्या कहूं,
तार के पत्ते पर बिखरा जैसे कोई नूर हो,
सहमा सा कभी देखता तुमको और कभी उस नूर को,
हूबहू वो लगता तुमसा,और सहमा मै क्या कहूं,

सौंधी सी खुशबू तुम्हारी,
जैसे मिट्टियों में ओश की,
हेर जगह अब लगता तुम हो बस इसी अहसास से,

कभी छुपाती पंखुरियों को हथेलियों पर प्यार से,
खाव्ब हो उठते है गुलसन,बस इस्सी अंदाज़ से.

तुम्हे देखूं हेर लम्हा बस यही है आरज़ू,
खाव्ब बन जाए हकीकत इससे आगे मै क्या कहूं

Written by :
Swaraj Prakash
swarajprakash.bhu@gmail.com 
New Delhi 
06-08-2010

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